BRICS के बहाने ग्‍लोबल साउथ पर दांव क्‍यों लगाना चाहता है चीन?

BRICS Summit 2024: पीएम नरेंद्र मोदी ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन (BRICS) में हिस्‍सा लेने के लिए रूस गए हैं. इस सम्‍मेलन में उनके शिरकत करने से पहले ही ये सुखद संकेत मिल रहे हैं कि 2020 के गलवान संघर्ष के चार वर्षों के बाद भारत और चीन सीमा विवाद को लेक

4 1 8
Read Time5 Minute, 17 Second

BRICS Summit 2024: पीएम नरेंद्र मोदी ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन (BRICS) में हिस्‍सा लेने के लिए रूस गए हैं. इस सम्‍मेलन में उनके शिरकत करने से पहले ही ये सुखद संकेत मिल रहे हैं कि 2020 के गलवान संघर्ष के चार वर्षों के बाद भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर किसी नतीजे पर पहुंच रहे हैं. इस घटना को ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में पीएम मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात से पहले संबंध सुधारने की दिशा में महत्‍वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही ये भी समझा जा सकता है कि 2010 में जिस मकसद से ब्रिक्‍स का गठन हुआ था उसकी भावना को भी संबंधित देश अंगीकार करते दिख रहे हैं. ये ब्रिक्‍स की कामयाबी ही कहा जाएगा.

संभवतया इसलिए ही पीएम मोदी ने रूस के शहर कजान जाने से पहले कहा, ‘‘भारत ब्रिक्स के भीतर करीबी सहयोग को महत्व देता है जो वैश्विक विकासात्मक एजेंडा, बहुपक्षवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण, सांस्कृतिक और लोगों को आपस में जोड़ने आदि से जुड़े मुद्दों पर बातचीत और चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है.’’

क्‍या है ब्रिक्‍स ब्राजील, रूस, भारत और चीन के नेताओं की सेंट पीटर्सबर्ग में 2006 में हुई बैठक के बाद एक औपचारिक समूह के रूप में ‘ब्रिक’ की शुरुआत हुई. ‘ब्रिक’ को 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करते हुए ‘ब्रिक्स’ के रूप में विस्तारित करने पर सहमति बनी. यह समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. ब्रिक्‍स के नेताओं का कहना है कि यह ‘‘पश्चिम विरोधी’’ नहीं बल्कि एक ‘‘गैर-पश्चिम’’ संगठन है.

पिछले साल समूह का विस्तार किया गया जो 2010 के बाद पहली ऐसी कवायद थी. ब्रिक्स के नए सदस्य देशों में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में कहा कि पिछले साल नए सदस्यों को जोड़ने के साथ ब्रिक्स के विस्तार से वैश्विक बेहतरी के लिए इसकी समावेशिता और एजेंडा बढ़ा है.

एजेंडा रूस की अध्‍यक्षता में आयोजित इस शिखर सम्मेलन को यूक्रेन में संघर्ष और पश्चिम एशिया में बिगड़ते हालात के बीच गैर-पश्चिमी देशों द्वारा अपनी ताकत दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. मोदी ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक सहित कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. पिछले वर्ष जोहानिसबर्ग में हुए शिखर सम्मेलन के बाद समूह का यह पहला शिखर सम्मेलन होगा.

ग्‍लोबल साउथ की बात चीन इस बार ब्रिक्‍स में ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल कर एक नए युग की शुरुआत करने का इच्‍छुक है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने इस बारे में कहा, ‘‘चीन अन्य पक्षों के साथ मिलकर ब्रिक्स सहयोग के स्थिर एवं सतत विकास के वास्ते प्रयास करने तथा ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एकजुटता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने और संयुक्त रूप से विश्व शांति एवं विकास को बढ़ावा के लिए एक नए युग के द्वार खोलने के लिए तैयार है.’’

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का उपयोग आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को संदर्भित करने के लिए आम तौर पर किया जाता है. ये देश खासकर एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका में स्थित हैं.

साझा मुद्रा इस साल ब्रिक्‍स की अध्‍यक्षता कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले दिनों कहा कि ब्रिक्स की साझा मुद्रा के लिए अभी समय नहीं आया है. पुतिन ने कहा, ''इस समय यह (ब्रिक्स मुद्रा) एक दीर्घकालिक संभावना है. इस पर विचार नहीं किया जा रहा है. ब्रिक्स सतर्क रहेगा और आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ेगा. अभी समय नहीं आया है. '' माना जाता है कि पश्चिम के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गठजोड़ के जवाब में ब्रिक्स समूह की परिकल्पना की गई. पुतिन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ब्रिक्स अब राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने और ऐसे उपकरणों के निर्माण की संभावना तलाश रहा है जो इस तरह के कार्यों को सुरक्षित बना सके.

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ब्रिक्स देश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की संभावना पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ''हम राष्ट्रीय मुद्राओं और निपटान प्रणालियों के उपयोग का विस्तार करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं, और ऐसे उपकरण तैनात करना चाहते हैं, जो इसे पर्याप्त रूप से सुरक्षित बना सकें.'' पुतिन ने कहा कि समूह को एक 'टूलकिट' तैयार करनी होगी जोकि संबंधित ब्रिक्स संस्थानों की निगरानी में रहेगी.

ब्रिक्स की संभावित मुद्रा के बारे में पुतिन ने कहा कि सदस्य देशों को बिना जल्दबाजी के धीरे-धीरे काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इन देशों की आबादी और संरचना को देखते हुए, यह एक दीर्घकालिक संभावना है और अगर इन मसलों पर विचार नहीं किया गया तो यूरोपीय संघ (ईयू) में एक मुद्रा लागू करते समय हुई समस्याओं से भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा.

(इनपुट: न्‍यूज एजेंसी के साथ)

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

22 अक्टूबर 2024, आज का राशिफल (Aaj ka Rashifal): सिंह राशि वाले लेनदेन में रहें सावधान, जानें अन्य राशियों का हाल

<

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now